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हे राम ! दुर्ग नगर निगम के अधिकारियों की मिलीभगत से हितग्राहियों ने जमीनों का पट्टा तक बेच दिया…

BY-HITESH SHARMA…1984 में तत्कालीन मध्यप्रदेश सरकार द्वारा पूरे प्रदेश सहित दुर्ग के भी शहरी क्षेत्रों में आबादी व नजूल पट्टे का वितरण किया गया था जिसमे खास तौर पर जो लोग अतिक्रमण कर आवास बनाकर रह रहे थे उन्हें पट्टों का वितरण किया गया था लेकिन अब मामला उलट है पट्टटो को भी हितग्राहियों ने दुर्ग नगर निगम के अधिकारियों की मदद से बेच दिया अब दिखावे के लिए इन 21 हितग्राहियों को अतिक्रमण का नोटिस भेजा गया है आपको बता दे कि तात्कालिक मध्यप्रदेश सरकार द्वारा आबादी भूमि पर काबिज परिवारो को उनके नाम पर पट्टे जारी किए गए थे ताकि उन्हें उसी स्थान का मालिकाना हक मिल सके सरकार के इस फैसले से अकेले दुर्ग में ही उस समय लगभग 27 हजार परिवारों को काबिज जमीन पर मालिकाना हक मिला था वर्तमान में दुर्ग भिलाई नगर निगम क्षेत्र में 27 हजार से अधिक ऐसे परिवार निवासरत हैं जिन्हें वर्ष 1984 के बाद आबादी पट्टा प्रदान किया गया था 30 साल की अवधि समाप्त हो जाने के बाद पट्टे के नवीनीकरण के लिए उन्हें नोटिस तमिल किया गया जिसमे से 21 लोग ऐसे थे जो कब्जा कर कबीजे थे पूरे कागजात खंगाले गए तो जिन लोगो को उनके घर का पट्टा दिया गया था वे अब रिकॉर्ड में ही नहीं है पूरे रिकॉर्ड खंगालने पर पता चला कि पट्टे की जमीन जिस व्यक्ति को मिली उसने किसी ओर बेच दी इस तरह एक ही जमीन कई बार कई लोगो को बेची गई जो नगर निगम के अधिकारियों की मिलीभगत के बिना संभव ही नहीं आखिर में उन सभी को नोटिस जारी किया गया है और उनके द्वारा निर्मित मकानों को अवैध में श्रेणी में डालने की प्रक्रिया चल रही है आपको बता दे कि असली पट्टा धारकों मे से लगभग 9० फीसदी परिवारों ने अपने पट्टे की जमीन दूसरे को बेच दी है जिन 21 लोगो ने पट्टे की जमीन बेची है या खरीदी है उन लोगों के ख़िलाफ़ कानूनी कार्यवाही का भी प्रवधान है लेकिन कोई भी व्यक्ति बेघर न हो इसके लिए सरकार ने कुछ नियम भी जारी किए है नियमानुसार शहरी आबादी निगम क्षेत्र में निवासरत परिवारों को जिनके पास वर्ष 1984 में प्रदान किया गया पट्टा है और लेकिन वो किसी दूसरे से खरीदा गया है तो उसे सरकारी रिकॉर्ड में अवैधानिक माना जाता है। पट्टा दूसरे व्यक्ति के नाम हस्तांतरित नहीं हो सकता लेकिन धन्य है दुर्ग नगर निगम और उसके अधिकारी…

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