कहीं ऐसा न हो जय_वीरू लड़ते रहे बाजी गब्बर या ठाकुर मार ले…


By-HITESH SHARMA_छत्तीसगढ़ की सियासत में इन दिनों सब कुछ ठीक भी है तो बहुत कुछ ठीक भी नही ये हम इसलिए कह रहे है कि पिछले दिनों मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव दिल्ली दरबार मे थे दोनो ही नेताओ ने मुंह तो नही खोला लेकिन इतना जरूर कहा कि विकास पर चर्चा करने दिल्ली आएँ है ये राजनैतिक बयान था इस बात को गहराई से समझा जा सकता है कि सूबे के विकास पर चर्चा सीएम से ही होगी और सीएम के बाद यदि किसी अन्य मंत्री से होगी तो वो नगरीय निकाय मंत्री होंगे लेकिन स्वास्थ मंत्री से विकास पर चर्चा वाली बात राजनैतिक गलियारों में कुछ पच नही रही हैं अगर विकास और चर्चा होती तो अन्य वरिष्ठ मंत्रियों से भी की जाती लेकिन खैर ये पार्टी का अंदरूनी मामला है लेकिन इन सबके बीच 2 वृद्ध नेता और है जो अब तक चुपचाप बैठे जो इन दोनों नेताओं के दिल्ली दौरे पर नजर बनाए रखे है ताकि समय पर वे भी दांव खेल सके. हालांकि भूपेश बघेल दिल्ली से वापस आ चुके है दुर्ग के किलेदारो ने उनका जबर स्वागत किया खूब नारे लगाए गए भूपेश ने भी सधी हुई टिप्पणी कर दी कि एक किसान का सीएम बनना बीजेपी को पसन्द नही आ रहा बयान में जरूर राज्य में ब्रम्हत्व को प्राप्त बीजेपी थी लेकिन निशाना कही और था दरअसल पूरे देश मे अंगद के पांव की तरह कोंग्रेस सबसे मजबूत छत्तीसगढ़ में ही है छत्तीसगढ़ ही एक मात्र ऐसा राज्य है जहां कांग्रेस 90 विधानसभा सीट में से 70 पर काबिज है छत्तीसगढ़ में जब से पंजा पार्टी की सरकार बनी है तभी से ढाई-ढाई साल मुख्यमंत्री बने रहने के फार्मूले की चर्चा हो रही है 17 जून 2021 को भूपेश बघेल के ढाई साल पूरे भी हो चुके हैं. उसके बाद से ही प्रदेश में नेतृत्व बदलने की चर्चा शुरू हुई है. हालांकि कांग्रेस आलाकमान ने कभी खुलकर इस पर कोई बात नहीं की कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी पीएल पुनिया ने जरूर कई बार ये बात कही है की ढाई-ढाई साल कोई फॉर्मूला नहीं है लेकिन एक बात एतिहासिक सत्य है कि कोंग्रेस को बीजेपी से कभी कोई नुकसान नहीं हुआ अब तक जब जब पंजा पार्टी का पतन हुआ है उसके अपने ही नेताओ ने पंजा पार्टी को नुकसान पहुँचाया है…