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काश ! भूपेश बघेल सीएम होते………

By_HITESH SHARMA………पत्रकार सुरक्षा कानून ये वही सत्ता की कुंजी है जिसे सिंहासन में लगाकर कई राज्यो में राजनीतिक दलों ने सत्ता पाई छत्तीसगढ़ में डेढ़ दशक के बीजेपी के कार्यकाल को जंगल राज बताने वाली कोंग्रेस ने पत्रकारों की लड़ाई जैसे धरना, प्रदर्शन में बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया और बताया कि कोंग्रेस रमन सरकार के जुल्म के समय में पत्रकारों की सच्ची हितैषी है फिर एक नया सवेरा आया सूबे में सरकार बदली और कोंग्रेस के पास सत्ता की कमान आ गई बम्फर सीट जीतकर कोंग्रेस ने बताया कि राज्य के पत्रकारों की सच्ची हितैषी पंजा वाली पार्टी ही है लेकिन पत्रकारों के मामले में नतीजा शिफर ही रहा सिर्फ चेहरा बदला था सत्ता वाली कुर्सी वही थी दरअसल छत्तीसगढ़ में बम्फर सीट पाने वाली कोंग्रेस को अब तक पत्रकार सुरक्षा कानून के मामले में पिछले डेढ़ साल से सिर्फ हवाई बाते करते देखा जा सकता है चूंकि मामला पत्रकारों से जुड़ा है इसलिए देर होना लाजमी है सूबे की भूपेश सरकार ने पत्रकारों को अपना किया वादा अब तक पूरा नहीं किया पत्रकार सुरक्षा कानून बनाने को लेकर आज तक केवल प्रक्रिया ही चल रही है कांकेर की घटना निंदनीय और चिंतनीय है प्रदेश के पत्रकार कमल शुक्ला को इस तरह सरे बाजार पीटा जाना भद्दी भद्दी गालियां दिया जाना यह दर्शाता है कि प्रदेश में कानून व्यवस्था नाम की चीज लगभग शून्य हो चुकी है चौथा स्तंभ कहे जाने वाले मीडिया के लोगों पर इस तरह अगर हमला किया जा रहा है तो आम आदमी का क्या होगा ये विचारणीय विषय है आपको याद दिला दे कि पिछले दिनों महासमुंद,रायगढ़,रायपुर,दुर्ग जिले में भी आए दिन पत्रकारों के साथ घटनाएं हो रही हैं……बाकी तो गोबर खरीदी चालू ही है…….

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