राजनीति

जीडीपी,पकौड़े और हरी चटनी…….

नमस्कार पंडित जी की बात में आपका स्वागत है……. मैं हूँ……..हितेश शर्मा………..बेरोज़गारी के आलम में आपका स्वागत है बीते दिनों देश की सियासत में बड़ी उथलपुथल का दौर रहा,रॉफेल भारत आया,राम मंदिर का शिलान्यास हुआ जिसे बीजेपी लम्बे समय से अपने मेनिफेस्टो में शामिल करती रही है…हर बार की तरह विपक्ष ने प्रधानमंत्री और केंद्र सरकार को इन मुद्दों पर कठघरे में खड़ा भी किया लेकिन नतीजा वही ढाक के तीन पात, विपक्ष के तमाम आरोपों को दरकिनार करते हुए प्रधानमंत्री ने वही किया जो उनके मन में उन्होंने निश्चय किया था…
बहरहाल राजनीति से अलग आज कुछ और बातें करते हैं, बारिश का मौसम है और देश के कई इलाकों में भीषण बारिशों का दौर जारी है तो ऐसे में क्यों न उस डिश की बात की जाय जिसकी माँग इस मौसम में घर-घर में की जाती है और इसका जिक्र प्रधानमंत्री तक एक इंटरव्यू में कर चुके हैं…जी हां आपने बिल्कुल सही समझा, आज बात करते हैं पकौड़ों की और वो भी मूँग के पकौड़ों की जिसे देश के कुछ हिस्सों में मंगोड़े भी कहा जाता है…पकौड़ों के लिए करीब आधा किलो मूँग दाल रात भर पानी में उसी तरह डुबोकर रखना है, जिस तरह आज अर्थव्यवस्था डूबी हुई है, अगले दिन सुबह आपको इस डूबी हुई अर्थव्यवस्था माफ कीजियेगा मूँगदाल को पानी में से निकालकर पीसना है, अगर आपके पास समय की कमी है और बहुत क्रेज़ नहीं है तो आप इसे मिक्सर में पीसिये और समय है, ज़ायका भरपूर लेना है तो इसे सिलबट्टे पर उसी तरह पीसना है जिस तरह मोदी शाह अपने विरोधियों को पीसते हैं, स्वाद कई गुना बढ़ जाएगा, अब हरी मिर्च, अदरक को पीसना है, फिर उसमें थोड़ा सा बेसन और तेल मिलाना है और स्वादानुसार नमक डालकर पिसी हुई दाल में मिला देना है, साथ ही थोड़ा हींग पाउडर डालें इससे स्वाद में और बढ़ोतरी हो जाएगी, लेकिन इसके अलावा एक काम और ज़रूरी है वो ये कि थोड़ी हरी मिर्च और हरी धनिया, थोड़ा जीरा और नमक डालकर मिक्सी में पीस लेना है और अब आपकी हरी चटनी तैयार है दरअसल पकौड़ों का स्वाद हरी चटनी से चौगुना हो जाता है…
बहरहाल आगे बढ़ते हैं, अब आपको पकौड़े के तैयार घोल को थोड़ा-थोड़ा करके तेज़ आँच में गर्म किये तेल के भीतर छोड़ना है, फिर थोड़ी धीमी आँच पर पकौड़ों को पकाना है, यहाँ यह भी ध्यान रखना है कि बहुत ज़्यादा देर तक नहीं तलना है वरना पकौड़े हाशिये पर भी जा सकते हैं, साथ ही थोड़ी हरी मिर्च को भी तेल में तल लें और ऊपर से थोड़ा नमक छिड़क दें, जिस तरह प्रधानमंत्री मोदी और गृहमंत्री अमित शाह अपने विरोधियों को तलने के बाद उन पर नमक छिड़कते हैं…
कहावत तो आपने जले पर नमक छिड़कने की सुनी होगी लेकिन अब एक नई कहावत भी जान लीजिए और वो है “तले पर नमक छिड़कने की” जिसे आपने अक्सर संसद की कार्रवाईयों के दौरान देखा होगा, जब विपक्ष के तमाम आरोपों और बहस के बाद मोदी और शाह की जोड़ी जवाब देती है तो उसे “तले पर नमक छिड़कना” ही माना जाए क्योंकि ये दोनों पूरे विपक्ष को तल चुके होते हैं…दरअसल इस दौर में तेल और दाल को तो वैसे भी अमीरों के घरों की रौनक और ग़रीब के घर का सपना कहा जा सकता है लेकिन फिर भी शौक पूरा करना हो तो ये महँगा सौदा नहीं है, अब गरीब बेचारा कम से कम पकौड़े खाकर तो खुद को कुछ देर के लिए अमीर समझ ही सकता है…अब आप पकौड़ों को हरी चटनी के साथ और तली हुई मिर्च के साथ खाइये, इस गिरी हुई अर्थव्यवस्था और मुफ़लिसी के दौर में वैसे तो चाय के साथ ही खाना बेहतर है, फिर भी कहीं गुंजाईश हो और शौक पूरा करना हो तो व्हिस्की, रम या बीयर के साथ भी ले सकते हैं, अमीरी का एहसास अगर जीना ही है तो पूरी शिद्दत से जियें…दरअसल निर्मल बाबा अक्सर हरी चटनी खाने के लिए कहते हैं कि कृपा आएगी और मैं चाहकर भी हरी चटनी नहीं खा पा रहा हूं, क्योंकि अब ये हरा रंग भी सियासी हो चुका है और बीजेपी भले ही इस देश के अल्पसंख्यकों की फ़िक्र ना करे लेकिन मुझे तो करनी है बस इसीलिए उन्हीं की भावनाओं की कद्र करते हुए मैं हरी चटनी नहीं खा रहा हूं और कृपा जो है वो जहाँ की तहाँ अटकी पड़ी है……

पकौड़े हरि चटनी…..

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button

Ful Bright Scholarships

error: Content is protected !!