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10 करोड़ कहाँ गए पता नहीं,नगर निगम ने कहा जोड़ना भूल गए,ए दारी गढ़ा गे नवा दुरुग…

यही है अद्भुत नगर निगम

By_HITESH SHARMA…गढ़ा गे नवा दुरुग…बाप रे बाप ये तो कमाल हो गया सूबे के सबसे हॉट फेवरेट नगर निगम में से एक दुर्ग नगर निगम वाकई अद्भुत अद्वितीय अतुलनीय अविश्वसनीय अकल्पनीय कार्य के लिए जाना जाएगा यहाँ 1 नही 2 नही 3 नही अरे हां भाई 4 भी नही पूरे 10 करोड़ का घपला बताया जा रहा है लेकिन ये 10 करोड़ का मामले को ऐसे बताया गया कि त्रुटि हो गई मान गए निगम के सर्वोच्च पदों पर बैठे कर्मचारियों को जिनसे एक नही 2 नहीं पूरे 10 जीरो की त्रुटि हो गई दरअसल दुर्ग नगर निगम में 10 करोड़ रुपए की हेराफेरी की गई है निगम अधिकारियों को करोड़ों रुपए का हिसाब ही नहीं मिल रहा है वित्तीय वर्ष 2019-20 में राजस्व आय करीब 27 करोड़ दर्शाई गई, लेकिन इस आय से 10 करोड़ अधिक खर्च बताया गया यानी व्यय 37 करोड़ का हुआ है इसे लेकर नगरीय प्रशासन मंत्री डाॅ. शिव डहरिया ने निगम प्रशासन को स्थिति स्पष्ट करने के निर्देश दिए. जिसके बाद निगम आयुक्त हरेश मंडावी ने प्रभारी लेखाधिकारी राजकमल बोरकर को नोटिस जारी किया है. उनसे तीन दिनों के भीतर स्थिति स्पष्ट करने कहा है इस मामले में निगम आयुक्त हरेश मंडावी ने बताया कि आय से 10 करोड़ अधिक व्यय के प्रभारी लेखाधिकारी को नोटिस जारी किया गया है. उनसे तीन दिन के भीतर स्पष्टीकरण मांगा गया है इस पूरे मामले पर विगत दिनों नगर निगम दुर्ग द्वारा विज्ञप्ति जारी की गई जिसमें ये कहा गया कि नगर निगम दुर्ग के आय व्यय ब्यौरा में 10 करोड़ का गड़बड़ी आने पर नगरीय निकाय मंत्री शिव डहरिया ने इस अनिमियतता की जानकारी आयुक्त हरेश मंडावी से मांगी है इसका खंडन करते हुए आयुक्त नगर निगम दुर्ग द्वारा ये स्पष्ट किया कि नगरीय प्रशासन मंत्री को भेजे जाने वाले प्रपत्र में त्रुटिवश शासन से प्राप्त ऋण एव आय की जानकारी नही जोड़ा गया था इसलिए आय ओर व्यय में अंतर दिख रहा था।शासन से प्राप्त 465.79 लाख एवं निकाय को उसकी बचत राशि 583.71 लाख कुल 1049.50 लाख का केवल वेतन पर व्यय किया गया था इसके अतिरिक्त किसी अन्य परियोजना हेतु व्यय नही किया गया है अतः समाचार पत्रों में प्रकशित आय व्यय में 10 करोड़ राशि का अंतर एवं अनियमितता का आरोप मिथ्या है नगर निगम दुर्ग द्वारा सभी कार्य पारदर्शिता से किया जा रहा है सुना आपने ये नगर निगम का कहना है चलिए मान भी लेते है कि ईमानदारी की चाशनी में डुबा निगम प्रशासन और उसके तथा कथित ईमानदार अधिकारी सच बोल रहे है लेकिन क्या सूबे के मंत्री को भेजे जाने वाले आय व्यय पत्रक में इस तरह की त्रुटी की जानी चाहिए ? इसका मतलब साफ है कि निगम प्रशासन के कर्मचारी अधिकारी या तो नशा करते हुए काम करते है या फिर अनुभवहीन अधिकारी निगम में आय -व्यय पत्रक का कार्य भार संभाले हुए है क्या इतनी बड़ी गलती बर्दास्त की जानी चाहिए…लेकिन सैंया भय कोतवाल तो डर काहे का…ए दारी गढ़ा गे नवा दुरुग…

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