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कोंग्रेस_खेमेबाजी और खेला होबे….

By- HITESH SHARMA….27 अगस्त 2021 ये तारीख कोंग्रेसी राजनीति के इतिहास में दर्ज हो गई अब तक शक्ति प्रदर्शन और सत्ता परिवर्तन जैसी मरहूम बातों से दूर रहने वाले छत्तीसगढ़ को इक्कीसवाँ साल लगते ही अब हवा लग चुकी है सूबे की सियासत के सियासतदारों का जो मेला पिछले 2 दिनो तक दिल्ली में लगा वो वाकई हैरान करने वाला था राज्य के मुखिया भूपेश बघेल और स्वास्थ मंत्री टीएस सिंहदेव खेमे के बीच जो कुछ हुआ वो छतीसगढिया इतिहास में आज तक नही हुआ डेढ़ दशक का वनवास काटने के बाद कोंग्रेस को राज्य में बम्पर बहुमत के साथ सत्ता हासिल हुई लेकिन भूपेश बघेल के सीएम की शपथ लेते ही ये किस्सा गोई भी शुरू हो गई कि ये पार्टनरशिप वाली सरकार है कोंग्रेस बीजेपी सहित आम आदमी भी ढाई साल वाली बात को जानने उत्सुक रहता इसी बीच आखिर सीएम भूपेश बघेल का ढाई साल का कार्यकाल पूरा हो गया लेकिन ऐसा राज्य की राजधानी रायपुर में ऐसा कुछ माहौल नजर नहीं आया उधर ढाई साल बाद सिंहासन पर विराजने को आतुर सरगुजा नरेश बांट जोह रहे थे कुछ समझ नहीं आया तो सिंहदेव दिल्ली दौरा कर दस जनपथ की परिक्रमा लगा ही रहे थे तभी हलचल हुई सीएम भूपेश बघेल को दिल्ली से बुलावा आया और सियासी भूचाल आने की प्रबल संभावना नजर आने लगी इधर सीएम के समर्थन में सैकड़ों लोग दिल्ली हाजरी लगाने पहुँचे फिर जो हुआ वो सबके सामने था एक विधायक के तो छत्तीसगढ़ के प्रभारी पीएल पुनिया के पैर तक पकड़ने की बात सामने आ रही है लेकिन किसी भी दिग्गज नेता ने ढाई साल वाले फॉर्मूले पर कुछ खुलकर नहीं बोला इसके पीछे खास वजह यह भी है कि भूपेश बघेल और टीएस सिंहदेव दोनों नेताओं का दिल्ली दरबार में विशेष प्रभाव है भूपेश बघेल मौजूदा समय में छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री है तो टीएस सिंहदेव का सम्मान भी कम नहीं है पर 27 अगस्त को हुए दिल्ली के घटनाक्रम ने कई सवाल खड़े कर दिए है इसके बाद अब राजनीतिक पंडितों का सिर्फ एक ही सवाल है की क्या कोंग्रेस में सब कुछ ठीक है बड़ा सवाल यह भी है कि टीएस सिंहदेव वर्तमान परिस्थितियों में क्या मुखर होकर अपना विभाग चला पाएंगे बहरहाल अब कोंग्रेस के वापस पहले वाले दिन आ गए है जब संगठन एक तरफ और जोगी खेमा एक तरफ हुआ करता था अब खेमे बाजी में बंटी कोंग्रेस राज्य में खुद का इतिहास दोहराने पर उतारू है अब राज्य में फिर खेमे बाजी की लड़ाई शुरू हो चुकी है.ऐसे में लग रहा है कि छत्तीसगढ़ में चल रहा खेला अभी इतनी जल्दी और आसानी से तो खत्म नहीं होगा…

ये तस्वीर कोंग्रेस की राजनीति बयां कर रही है…

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