सीएम ने किताब देखी और कहा वाह….


By-TNP DESK_भिलाई की वरिष्ठ पत्रकार कोमल पुरोहित धनेसर की किताब ‘ विशिष्ट पराग का विमोचन मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने किया। इस दौरान पत्रकार कोमल ने मुख्यमंत्री को बताया कि उन्होंने अपनी पत्रकारिता की शुरुआत बस्तर से उस वक्त की थी, जब पत्रकारिता में क्षेत्र में महिलाएं आने के बारे में सोचती तक नहीं थी। बस्तर की पहली महिला पत्रकार के रूप में उन्होंने अपने कॅरियर की शुरुआत की। 23 वर्षो से पत्रकारिता के क्षेत्र में उन्होंने कई राष्ट3ीय अखबारों में अपनी सेवाएं दी है। पुस्तक के विमोचन अवसर पर न्यू प्रेस क्लब ऑफ भिलाई की अध्यक्ष भावना पांडेय, एसीएन की ब्यूरोचीफ शाहीन खान, पत्रकार संगीता मिश्रा व प्रज्ञाअवतार साहू मौजूद थे करीब से समझी जिंदगी कोमल ने बताया कि राजस्थान पत्रिका समहू के पत्रिका भिलाई संस्करण में बतौर रिपोर्टर खबरों के सिलसिले में अक्सर अर्धसैनिक बलो के मुख्यालयों से अग्रिम चौकी तक जाने का मौका मिला । रूटीन की खबरों के साथ अक्सर बातों-बातों में उन रौबदार वर्दी के पीछे की कुछ अनछुई कहानियां भी जानने को मिली । देश की सरहदों से लेकर छत्तीसगढ़ के जंगलों में ड्यूटी करने आए इन बल के जवानो की जिंदगी को करीब से समझा। इस दौरान किसी के मजेदार किस्से तो, किसी के दिल छू लेने वाले वाकए.., तो कभी फोर्स के अंदर हीं दो लोगों का विवाह में बंध जाना…. तो कभी अधिकारी और जवानो के परस्पर भाईचारे की चर्चा को समझा। तब मन में आया कि क्यों न उनके इन अनछुए पहलुओं को शब्दों में ढालकर कहानी में पिरोया जाए। इसी बीच एक न्यूज के सिलसिले में डिप्टी कमांडेंट चिकित्सा अधिकारी डॉ तारकेश्वर नाथ से मुलाकात हुई, वो जितने अच्छे चिकित्सक है, उतनी ही अच्छी उनकी लेखनी भी है । उनसे भी कई ऐसे किस्से सुनने को मिले। डॉ नाथ ने इन किस्सों को कहानियों में पिरोने का प्रस्ताव रखा और शुरू हुआ सफर ‘विशिष्ट पराग का… । एक रिपोर्टर और एक पैरामिल्ट्रिी फोर्स के ऑफिसर बहन-भाई की जोड़ी की कलम से निकली इस किताब की कहानियां इस किताब को पढऩे पर अंतिम पोस्ट से लेकर मुख्यालय तक रहने वाले बल के सभी सदस्य इन कहानियों के किरदारो में खुद को पाएंगे । इस किताब में आपको हिन्दी के अलावा अंगेजी के कुछ शब्द तथा फौजी भाषा के भी कुछ शब्द मिलेंगे । यह किताब एक आम नागरिक को फौज के बारे में जानने का भरपूर मौका देगी, बाकी किताबों से अलग इसमें हर तरह की भावनाओ से परिपूर्ण कहानियां मिलेंगी और एक फौजी को इसमे वह अपनापन मिलेगा, जो फोर्स की पहचान है.. यानी भाईचारा और एकदूसरे के लिए कुछ कर गुजरने का जज्बा….।