
दुर्ग……विक्रमाब्द२०७७ का यह पहला सूर्यग्रहण आषाढ़ मास कृष्ण पक्ष अमावस्या (२१/६/२०२०) को प्रातः भारतीय समयानुसार सूर्यग्रहण का स्पर्श व मोक्ष काल विभिन्न शहरों या स्थानों में अक्षांश देशान्तर के अनुसार भिन्न-भिन्न होता है। रायपुर छत्तीसगढ़ के अक्षांश के मुताबिक ग्रहण का स्पर्श पूर्वाह्न १० :२५ बजे से दोपहर १२:११ बजे तथा ग्रहण का मोक्ष यानि समाप्ति अपराह्न १:५९ बजे होगा। सूतक २०/६/२०२० को राा्रित १० बजकर २५ मिनट से आरंभ हो जायेगा।सूतक के दौरान मंदिरों के पट बंद रहेंगे और सूतक में भोजन भी वर्जित है। इस ग्रहण का केन्द्र साउथ अफ्रीका के समुद्र तटीय दक्षिणी भू-भाग है, पूर्वाभिमुखी यह कंकणाकृति सूर्यग्रहण ९।४४ ग्रासांगुल का है, जो मृगशिरा नक्षत्र के तृतीय चरण अर्थात् मिथुन राशि में लगेगा। आचार्य पण्डित विनोद चौबे ने बताया की रविवार को सूर्य ग्रहण होने की वजह से दुर्लभ ‘चूड़ामणि योग’ बन रहा है। जो ग्रहण के केन्द्र स्थल के आसपास अत्यधिक विपरीत फल प्रदान करेगा। किन्तु भारत पर उतना विपरीत प्रभाव देखने को नहीं मिलेगा। क्योंकि सूरतगढ़, सिरसा, कुरुक्षेत्र, यमुनानगर, जोशीमठ आदि भारत के उत्तरी हिस्सों में कुछ समय के लिए कंकाकृतसूर्यग्रहण रहेगा बाकी पूरे भारत में खण्डसूर्यग्रहण ही दिखाई देगा। दुर्लभ संयोग रविवार को सूर्यग्रहण लगने की वजह से ज्योतिष शास्त्र के अनुसार चूड़ामणि योग नामक दुर्लभ संयोग बन रहा है। यथा- सूर्यग्रहः सूर्यवारे यदा स्यात्पाण्डुनन्दन। चूडामणिरिति ख्यातं सोमे सोमग्रहस्तथा।।बृ.दै.३३.६२। इसमें स्नान, दान, होम का कोटिगुणित फल की प्राप्त होती है। ग्रहण में गोदान से सूर्यलोक प्राप्ति, वृषदान से उत्तम लोक की प्राप्ति, स्वर्णदान से ऐश्वर्य प्राप्ति, स्वर्णसर्प दान से राज्य प्राप्ति, अश्वदान से वैकुण्ठ प्राप्ति, सर्पमुक्ति से ब्रह्मलोक प्राप्ति, भूमिदान से राजपद प्राप्ति तथा अन्नदान से सुख की प्राप्ति होती है। राशियोंपरप्रभाव: मेष और सिंह के लिए धन लाभकर, वृष एवं कर्क राशि के लिए हानिकारक, मिथुन- पीड़ाप्रद, कन्या- सुखदायक, तुला- सम्मान में कमी, वृश्चिक- कष्टकारक, धनु- स्वजन को पीड़ा, मकर- सुख समृद्घिप्रद, कुम्भ- मानसिक चिन्ता, मीन- खुशी में कमी। सभी लोगों को आदित्य हृदय स्तोत्रम् का पाठ करना चाहिए, इससे जिनकी कुण्डली में ग्रहण दोष होता है उनको इस दोष से मुक्ति मिल जाती है। क्याकरेंक्याना_करें:- गर्भवती महिलाओं को ग्रहण के दौरान बाहर बिल्कुल भी नहीं जाना चाहिए। गर्भवती महिलाओं को शुद्धता अधिक ध्यान रखना चाहिए साथ ही ग्रहण स्पर्श होते ही गंगाजल से स्नान कर शरीर में पंचगव्य प्रोक्षण कर ‘ॐ नमो नारायण नमः’ मंत्र का जाप करें। अन्य लोगों को ग्रहण के समयावधि में मनुष्य को स्वाध्याय, भगवत, भजन-कीर्तन, स्मरण करना चाहिए ग्रहण आरंभ से पूर्व स्नान शुरू होने पर हवन समाप्त होते समय दान और ग्रहण अंत में पुनः स्नान करके शुद्ध वस्त्र आभूषण धारण करें देवदर्शन उपरांत कुछ खान पना लेना और ग्रहण काल में आलस्य प्रमाद या अपवाद से बचे रहना चाहिए। ग्रहण के समाप्त होने पर गंगा जल से स्नान कर तुलसी पत्र जल में डालकर पूरे घर में छिड़काव करें।