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शाबाश छतीसगढ़ पुलिस मदद हो तो ऐसी.

छत्तीसगढ़ पुलिस का एक मानवीय चेहरा आज सामने आया शहडोल से बैगा आदिवासी केशव अपनी पत्नी का 90 प्रतिशत जलने के बाद इलाज कराने भिलाई आया था। इलाज के दौरान उसकी पत्नी की मौत सेक्टर 9 अस्पताल में हो गई पर पैसा ना होने के कारण उसकी पत्नी की लाश को सेक्टर-9 अस्पताल प्रबंधन ने देने से मना कर दिया यह जानकारी पुलिस विभाग के अधिकारियों व पत्रकारो को हुई तो,केशव को उसकी पत्नी की लाश अस्पताल से दिलवाई गई साथ ही शहडोल तक शव ले जाने के लिए वाहन की व्यवस्था भी मुफ्त में करवाई गई.दरअसल शहडोल निवासी बैगा आदिवासी केशव की पत्नी 21 अप्रैल की रात को खाना बनाते समय 90 % तक झुलस गई थी केशव उस दौरान मजदूरी करने गया हुआ था। घर लौटने पर रिश्तेदारों से उसे जानकारी हुई कि उसकी पत्नी को शहडोल के जिला अस्पताल में भर्ती किया गया है पर वहा उचित इलाज संभव नहीं होने के कारण वह अपनी पत्नी का इलाज कराने सेक्टर-9 अस्पताल भिलाई पहुंचा एक सप्ताह के इलाज के दौरान मृतक की दवाई में 80 हजार रुपए खर्च हो गए, ये 80 हजार रुपए वह अपना खेत बेचकर लाया था इलाज के दौरान पीड़ित की पत्नी की रविवार को मौत हो गई पर अस्पताल ने पैसा जमा करने पर ही लाश को देने की बात कही एक आदिवासी परिवार के सदस्य की पैसे के अभाव में लाश नहीं मिलने की बात जैसे डीजीपी डीएम अवस्थी को एक वरिष्ठ पत्रकार द्वारा दी गई तो उन्होने तत्काल दुर्ग रेंज आईजी हिमांशु गुप्ता को इस मामले में पीड़ित की मदद करने के निर्देश दिए आईजी के हस्तक्षेप के बाद लाश परिजनों को मिली वही पत्रकारो ने भी अपनी सामाजिक उतरदायित्व का परिचय देते हुए शहडोल तक पीड़ित के लाश ले जाने के लिए शव वाहन की व्यवस्था भी की.

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