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विध्वंसक ऊर्जा से भरा बुद्धिमान आदमी
एक्सीलेंट मैन विथ डिस्ट्रक्टिव ब्रेन अजित जोगी

By- वरिष्ठ पत्रकार मृगेंद्र पांडेय की फीस बुक वाल से………अजीत जोगी सपनों का सौदागर_ ऐसा शख्स जिसके व्हीलचेयर के पहिए के साथ छत्तीसगढ़ की सियासत घूमती थी। वह अपने रिमोट से तय करता था, राजनीति का अगला कदम। एक दो साल नहीं, एक दशक आगे की सोच रखने वाला राजनेता। सियासत में दिमाग शरीर से ज्यादा महत्वपूर्ण होता है, यह बताने वाला देश का इकलौता शख्स। परिस्थितियां चाहे कैसी भी रहे, पावर जोन में खुद को सबसे ऊपर बनाए रखने वाला शख्स। आज अनंत में विलीन हो गया।छत्तीसगढ़ की सियासत का पिछले दो दशक में इकलौता जननेता, जिसकी हर जिले, हर ब्लाक में फैन फॉलोइंग है.. यूथ की ऐसी टीम जो आज 90% कांग्रेस को कवर करती है, उनकी सिखाई, पढ़ाई और बढ़ाई टीम है। विद्याचरण शुक्ला के बाद किसी एक नेता ने इतना बड़ा जनाधार बनाया तो वह सिर्फ और सिर्फ अजीत जोगी थे। मेरे एक अंग्रेजी अखबार के पत्रकार मित्र ने जोगी को कहा था एक्सीलेंट मैन विथ डिस्ट्रक्टिव ब्रेन ….छत्तीसगढ़ में 18 साल तक कांग्रेस का प्रदेश अध्यक्ष कोई भी रहे, जोगी का सागौन बंगला राजनीति का केंद्र बिंदु रहा।पावर का ऐसा नशा कि अपनी ही पार्टी के उम्मीदवार को चुनाव से पहले नाम वापसी कराने का माद्दा रखने वाला इकलौता शख्स। सत्ता में आने के लिए विपक्षी पार्टी के विधायकों को तोड़ने से नहीं झिझकने वाला नेता। इकलौता शख्स, जिसकी राजनीति तोड़फोड़ से कहीं ज्यादा बुलडोजर और जेसीबी से भी खतरनाक थी।ऐसा खौफ कि उनके नाम के आगे जुड़ी सिर्फ एक लाइन ने कांग्रेस को 15 साल तक सत्ता से बाहर रखा। सिर्फ यही कहा गया कि कांग्रेस सत्ता में आती है तो जोगी सीएम होंगे। यह उनके नेगेटिव और पॉजिटिव दोनों राजनीति का परिणाम था। चुनाव कांग्रेस लड़ती थी, लेकिन निशाने पर जोगी होते थे। जब जोगी कांग्रेस से बाहर हुए तो विरोधी सत्ता से बाहर हो गए। इसे गठजोड़ भी कहा जाता है। एक ऐसा गठजोड़ जो दिखता तो बाहर से नहीं, लेकिन अंदर ही अंदर चलता रहता था। छत्तीसगढ़ ने एक दौर ऐसा भी देखा जब जोगी जिसे चाहे, वह चुनाव जीता और जिस से नजरें टेढ़ी हो जाती, वह चुनावी सिस्टम से पैदल हो जाता। इस सियासी सफर में जोगी ने कभी यह नहीं देखा कि जिन्हें वह हटा रहे हैं, उसका नुकसान क्या होगा। जोगी को सिर्फ और सिर्फ यही पता था कि जो विरोध करेगा, वह हटेगा रास्ते से। हर चुनाव में कांग्रेस के 10 बड़े नेता हारते थे, यह महज संयोग नहीं था। सरगुजा से लेकर बस्तर तक, जोगी ने विधायकों की एक फौज खड़ा की। शक्ति प्रदर्शन का ऐसा कांसेप्ट की, रोजा इफ्तार में कितने विधायक पहुंचे,यह बताने के लिए एक पूरी टीम तैनात रहती थी।तमाम विरोध के बाद भी अजीत जोगी की राजनीति के खिलाफ खड़े लोग भी इस बात को मानते हैं कि एक आम घर में पैदा हुआ लड़का अपने दिमाग की तीव्रता के दम पर सर्वोच्च तक पहुंच सकता है। प्रदेश में कांग्रेस सत्ता में है और जोगी के करीबी नेता सत्ता के भागीदार भी हैं। आज जरूरत है एक पॉजिटिव मैन के दिमाग से निकली पॉजिटिव वेब्स को एक्सेप्ट करने की और उस दिशा में आगे बढ़ने की।।।

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