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देश की दो सबसे बड़ी जीत का विश्लेषण

By-HITESH SHARMA . यूं तो देश मे सभी दलों के 542 प्रत्याशियों ने इस बार जीत दर्ज की है.मगर दो नाम ऐसे हैं जिनकी जीत ने फिर साबित किया कि अगर मेहनत की जाए तो किसी को भी हराया जा सकता है…

पहला नाम है- स्मृति इरानी…खूब लड़ी मर्दानी, बीजेपी की स्मृति इरानी…।स्मृति इरानी को मालूम था कि वो विपक्ष के सबसे शक्तिशाली, सबसे प्रभावशाली, सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी के अध्यक्ष के सामने उनके गढ़ में चुनावी समर में हैं, स्मृति इरानी को मालूम था कि राहुल को जिताने के लिए पूरी कांग्रेस पूरा दमखम लगा देगी, दमखम लगाया भी गया, स्टार प्रचारक प्रियंका गांधी भाई को बचाने के लिए अमेठी में डेरा डाले रहीं, दर्जनों रैलियां सभाएं, रोडशो किए…कायदा तो ये कहता था कि एक रैली कम से कम नरेंद्र मोदी भी करते अमेठी में, स्मृति के हक में….मगर उन्होंने नहीं की..क्योंकि कम से कम बीजेपी वालों को यकीन था कि अबकी बार राहुल गांधी परास्त होंगे…दरअसल राहुल गांधी स्मृति इरानी से चुनावी मैदान में पिछले तीन महीने से लड़ रहे थे, मगर स्मृति इरानी राहुल गांधी से पांच साल से चुनाव लड़ रहीं थीं, स्मृति इरानी ने ठान लिया था कि वो राहुल गांधी को चुनाव में मात देंगी, उनका पक्का भरोसा था कि वो राहुल गांधी को अमेठी में चुनाव हरा सकती हैं,इसीलिए वो अमेठी की खाक छानती रहीं, वहीं घर बना लिया, अड़ी रहीं, डटी रहीं..स्मृति इरानी की जीत ऐतिहासिक है…सबसे बड़े विपक्षी दल के मुखिया को मात देना छोटी बात नहीं है .

दूसरा नाम है- केपी यादव कांग्रेस के कट्टर कार्यकर्ता हुआ करते थे केपी यादव, मध्य प्रदेश कांग्रेस के नेताओँ के आगे पीछे फिरा करते थे, गुना में ज्योतिरादित्य सिंधिया ने उनके साथ बदसलूकी की थी, उन्होंने तय किया था कि वो गुना में ही महाराज ज्योतिरादित्य को हराएंगे,कमाल की बात ये है कि बीजेपी के शाह ने केपी यादव पर भरोसा जताया, और भरोसे से भरे हुए केपी यादव ज्योतिरादित्य के घमंड को चूरन बनाकर चाट गए….अ जीत दर्ज की…कहने का अर्थ सिर्फ इतना है….कि अगर मेहनत, लगन, पूरी निष्ठा और ईमानदारी से लक्ष्य साधने की कोशिश की जाए, तो देर से ही सही, लक्ष्य जरूर पूरा होता है. दोनों शूरवीरों को THE NEWS POWER की ओर से बधाई..

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