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दुर्ग नगर निगम आयुक्त पर जिला उपभोक्ता फोरम ने लगाया 6 लाख 43 हजार का जुर्माना..

पहला मामला
कादंबरी नगर दुर्ग निवासी नेत्र चिकित्सक डॉ. श्रीमती प्राची अरोरा ने दिनांक 13 सितंबर 2011 को दुर्ग नगर निगम द्वारा आमंत्रित निविदा में भाग लेते हुए दो दुकानों के लिए निविदा भरकर प्रति दुकान 243175 रुपये के हिसाब से कुल रकम 486350 रुपये अमानत राशि के रूप में जमा कराई। निविदा खोलने पर परिवादिनी का ऑफर मूल्य सबसे अधिक था और उसे दुकान पाने की पात्रता थी। परिवादिनी द्वारा बार-बार दुर्ग नगर निगम से संपर्क करने पर भी मात्र आश्वासन दिया जाता रहा लेकिन कोई कार्यवाही नहीं की गई और दिनांक 28 मई 2012 को दुकानों की दर कम होने के आधार पर निविदा अस्वीकार कर दी गई। इसके बाद दिनांक 06 जून 2012 को परिवादिनी को यह जानकारी दी गई कि लिपिकीय त्रुटिवश निविदा निरस्त होने की सूचना जारी हो गई थी, अब दुकान आवंटन का निर्णय एवं विचार एमआईसी में किया जाएगा। दिनांक 25 जून 2012 को परिवादिनी की निविदा अस्वीकार कर दी गई। परिवादिनी ने 12 सितंबर 2012 को नगर निगम की अपील समिति के समक्ष अपील प्रस्तुत की जिसका निराकरण लंबे समय तक नहीं किए जाने के कारण परिवादी ने उच्च न्यायालय बिलासपुर में रिट याचिका प्रस्तुत की जिसमें माननीय उच्च न्यायालय ने अपील कमेटी के समक्ष मामले का निराकरण कराने के निर्देश दिए। दिनांक 30 अक्टूबर 2015 को परिवादिनी की अपील को नगर निगम की अपील समिति ने निरस्त कर दिया किंतु परिवादिनी द्वारा जमा कराई गई अमानत राशि 486350 को वापस नहीं किया।

दूसरा मामला
इसी प्रकार दूसरा मामला परिवादिनी अनीता अरोरा का है जिसने सुभाष नगर प्राथमिक शाला दुर्ग स्थित दुकान क्रमांक 9 के संबंध में अमानत राशि 125000 जमा करके दिनांक 22 जून 2011 को नगर निगम द्वारा आमंत्रित निविदा में भाग लिया था। इस मामले में भी पहले मामले की तरह ही नगर निगम द्वारा व्यवहार किया गया। अनावेदक का जवाब
नगर पालिक निगम दुर्ग ने सिर्फ परिवादिनी डॉ. प्राची मिश्रा के मामले में ही अपना जवाब प्रस्तुत किया जिसमें उसने कहा कि परिवादिनी ने अपनी जमा राशि जानबूझकर वापस नहीं ली है और वह किसी प्रकार की क्षतिपूर्ति राशि पाने की हकदार नहीं है। फोरम का फैसला
प्रकरण में पेश दस्तावेजों एवं प्रमाणों तथा दोनों पक्षों के तर्को के आधार पर जिला उपभोक्ता फोरम के अध्यक्ष लवकेश प्रताप सिंह बघेल, सदस्य राजेन्द्र पाध्ये और लता चंद्राकर ने यह सिद्ध पाया कि परिवादिनी द्वारा प्रस्तुत निविदा को मेयर इन काउंसिल द्वारा दिनांक 20 जून 2012 को निरस्त करके इसकी सूचना परिवादिनी को दी गई तब परिवादिनी ने छत्तीसगढ़ नगर पालिका निगम अधिनियम 1956 के तहत अपील प्रस्तुत की जिसका निराकरण दिनांक 30 अक्टूबर 2015 को किया गया और परिवादिनी ने इसके बाद 27 अगस्त 2016 को आयुक्त नगर निगम दुर्ग के समक्ष पुनर्विचार आवेदन दायर किया और दिनांक 3 नवंबर 2017 को अपनी अमानत राशि की मांग की। मांगे जाने पर भी अमानत राशि का भुगतान ना कर अनावेदक ने व्यवसायिक कदाचार किया है और परिवादिनी को क्षति पहुंचाई गई है।जिला उपभोक्ता फोरम के अध्यक्ष लवकेश प्रताप सिंह बघेल, सदस्य राजेन्द्र पाध्ये और लता चंद्राकर ने नगर निगम दुर्ग आयुक्त पर 6 लाख 43 हजार रुपये हर्जाना अधिरोपित किया, जिसके तहत पहले मामले में अमानत राशि 486350 रुपये, मानसिक क्षतिपूर्ति स्वरूप 20000 रुपये, वाद व्यय के रूप में 1000 रुपये देना होगा और दूसरे मामले में अमानत राशि 125000 रुपये, मानसिक कष्ट के एवज में 10000 रुपये एवं वाद व्यय के रुप में 1000 देना होगा। साथ ही अमानत राशि पर 6 प्रतिशत वार्षिक दर से ब्याज भी भुगतान करना होगा।

दुकान आवंटन नहीं करने के बाद अमानत राशि नहीं लौटाई दो अलग-अलग मामलों में दुर्ग नगर निगम आयुक्त पर जिला उपभोक्ता फोरम ने लगाया 6 लाख 43 हजार रुपये हर्जाना नीलामी में सबसे अधिक ऑफर मूल्य होने के बाद भी दुर्ग नगर पालिका निगम द्वारा परिवादियों को दुकान का आवंटन नहीं किया गया और जमा की गई अमानत राशि की मांग करने पर अमानत राशि का भुगतान भी नहीं किया। इसे आचरण को व्यवसायिक कदाचार ठहराते हुए जिला उपभोक्ता फोरम के अध्यक्ष लवकेश प्रताप सिंह बघेल, सदस्य राजेन्द्र पाध्ये और लता चंद्राकर ने दो अलग-अलग मामलों में नगर पालिक निगम दुर्ग के आयुक्त पर 6 लाख 43 हजार रुपये हर्जाना लगाया।

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